रविवार, 29 मार्च 2009

वरूण गांधी बनाम धर्म निरपेक्षता

गत कुछ दिनों से टीवी तथा अन्य मिडिया साधनों में संजय गांधी के पुत्र वरूण गांधी का नाम चर्चा में है। अभी वरूण गांधी न्यायालय के आदेष से जेल में है। उन पर किसी जाति विषेष पर या मत विषेष पर टिप्पणी करने का आरोप है। यह भी आरोप है कि ऐसा करके उन्होने दो मतों में विद्वेष का भाव उत्पन्न किया। वरूण गांधी के जेल भेजे जाने पर मुझे राज ठाकरे का भाषण, व्यवहार तथा उनकी तुरंत होती जमानते याद आ गयी। वरूण गांधी न्यायालय के आदेष से जेल में है। न्यायालय किसी की जमानत लेने अथवा नहीं लेने का अधिकार रखता है। इस पर कोई टिप्पणी नहीं करते हुये तथा न्यायालय के प्रति सम्मान करते हुये राज ठाकरे तथा वरूण गांधी की टिप्पणियों में भेद खोजने का निरर्थक प्रयास करता रहा।

कांग्रेस वरूण गांधी की टिप्पणी से बहुत अधिक आहत है। ऐसा होना स्वाभाविक है। कांग्रेस उत्तर प्रदेष में अपना आधार खो चुकी है। कांगे्रस के नेता या युवराज राहुल गांधी कांगे्रस के लगातार सिमटते आधार को बचाने में असफल से नजर आते है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी में गांधी नेहरू परिवार का व्यक्ति नेता बनकर उभर जाये और उसे सभी लोग बधाई देने लगे। मिडिया सकारात्मक या नकारात्मक किसी भी रूप में उसका नाम बार-बार दोहराये तथा बार-बार उसका लाल रंग का कुर्ता पहना हुआ लम्बा तिलक लगा हुआ जय श्री राम का उद्घोष करता हुआ फोटो बताये तथा उसके पीछे नारें को लगाती भीड़ बताये तो कांगे्रस में दर्द होना स्वाभाविक है। मुझे यह दर्द समझ में नहीं आता। वरूण गांधी भाजपा के नेता है भाजपा की भाषा बोलेगें। वैसे भी कांगे्रस के पास उत्तर प्रदेष में गवाने के लिए क्या बचा है। कांगे्रस की समस्या यह है कि नेहरू गांधी परिवार की जिस विरासत के नाम पर वह अभी तक कुछ वोट जुटाती आयी है वह वोट कही भाजपा के साथ वरूण गांधी नहीं ले जाये। इन्दिरा गांधी के पौतेे के रूप में राहुल गांधी की जगह वरूण गांधी प्रोजेक्ट नहीं हो जाये। ऐसा हो गया तो कांग्रेस की नानी मर जायेगी।

वरूण गांधी ने कुछ गलत कहा है क्या? जिसे सुनकर चुनाव आयोग ने भाजपा को उन्हे उम्मीदवार न बनाने की सलाह दे दी। चुनाव आयोग की यह सलाह उसके क्षैत्राधिकार का अतिक्रमण है। चुनाव आयोग के कानून में किसी उम्मीदवार का नामांकन रद्द करने का अधिकार अवष्य है। वह भी उन हालात में जब वह निर्धारित योग्यता की पूर्ति नहीं करता हो। चुनाव आयोग ने भारत माता को डायन कहने वाले एक नेता के बारे में तो ऐसी सलाह नहीं दी। इसके अलावा हिन्दुओं के बारे में मनचाही अनर्गल टिप्पणी करने वाले लोगों पर कार्यवाही करने से सरकारे बचती रहती है। आतंकवादी विरोधी कठोर कानून एक मत विषेष के विरोध में नजर आते है। कष्मीरी पंडित कितने वर्षों से पीडित है। उनकी चिंता करना लाल झण्डे तथा कांग्रेस के लोगों को याद नहीं आता है। वरूण गांधी इस देष में खडे होकर यदि यह कहते है कि हिन्दु की तरफ उठने वाला हाथ काट दिया जायेगा तो क्या गलत है? यदि वह तालीबानी मानसिकता को लेकर कठोर टिप्पणी करते है तो क्या गलत करते है? मुझे कही बार लगता है कि आपातकाल में जिस ढंग से संजय गांधी को कुछ समझ में आया था। वैसा ही यह उनका पुत्र धीरे-धीरे समझ रहा है।

वरूण गांधी कष्मीरी पंडित गंगाधर नहर वाले के परिवार के है। भाजपा उनका यह परिचय देते हुये उनको कष्मीर में चुनाव प्रचार के लिए भेज सकती है। भारतीय राजनीति में युवा वरूण गांधी ने ष्ष्यामाप्रसाद मुखर्जी के बाद जो शंख नाद किया है वह स्वागत योग्य है। आज कष्मीर जैसा भी बचा है उसका धन्यवाद डाॅ मुखर्जी को है।

आने वाले चुनाव में भाजपा को स्पष्ट रूप से राष्ट्र हितों को सामने रखते हुये प्रचार करना चाहिए। उडीसा में यदि भाजपा अपने बुते पर सारी सीटों पर चुनाव लडती है तो फायदे में रहेगी। चुनाव परिणाम इसको स्पष्ट करेगें। मिडिया द्वारा वरूण गांधी का प्रचार करने से भाजपा को नरेन्द्र मोदी के बाद एक स्टार प्रचारक और मिल गया। तत्काल जमानत करवाकर पूरे देष में जय श्री राम का उद्घोष करते वरूण गांधी को भेजा जावे।

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